स्पर्श, भाग - 2 - NCERT Solutions - GeniusJnr

स्पर्श, भाग - 2 - NCERT Solutions : MCQ, free quiz, mock quiz, practise questions, olympiad preparation

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स्पर्श, भाग - 2 - NCERT Solutions
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पर्वत प्रदेश में पावस
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मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
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निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

(1) दुनिया अपने भीतर छिपे ईश्वर को नहीं देख पाती। कवि ने किस उदाहरण द्वारा यह तथ्य स्पष्ट किया है?

(2) 'मनुष्यता' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?

(3) पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिम्बित करते हैं?

(4) 'विपदाओं से मुझे बचाओ यह मेरी प्रार्थना नहीं' कवि इस पंक्ति द्वारा क्या कहना चाहता है?

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निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(क) कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ।

जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।।

(1) सांप, मोर, मृग और बाघ एक साथ क्यों नहीं रह सकते? (2)

(2) ग्रीष्म ऋतु ने संसार को किस प्रकार तपोवन बना दिया है? (2)

(3) पहली पंक्ति में कौन से अलंकार का प्रयोग किया गया है? (2)

अथवा

(ख) हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि।

अब घर जालौं तास का, जो चलै हमारे साथि।।

(1) कबीर ने अपने हाथ में कौन-सी मशाल लेकर अपना घर जला लिया? (2)

(2) कबीर अपने साथ चलने वाले का घर क्यों जलाना चाहते हैं? (2)

(3) उपरोक्त साखी का भाव स्पष्ट कीजिए। (2)

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निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृत सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
अहा! वही उदार है परोपकार जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

1. कवि और कविता का नाम लिखिए। (1)

2. कवि किसे महाविभूति मानता है? (1)

3. कवि किसे मनुष्य की संज्ञा देता है? (2)

4. धरती को वश में करने के लिए कौन-सा गुण आवश्यक है? (2)

अथवा

(ख) कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।
     ऐसैं घटि घटि राम हैं, दुनियाँ देखै नाँहि।।

1. कवि एवं कविता का नाम लिखिए। (1)

2. प्रथम पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है? (1)

3. इस दोहे के माध्यम से कवि ने क्या सन्देश दिया है? (2)

4. मृग कस्तूरी को कहाँ ढूँढता है? (2)

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निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए – (3 + 3 + 3)

1. 'मधुर-मधुर मेरे दीपक जल' कविता में दीपक से किस बात का आग्रह किया गया है और क्यों?

2. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

3. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है, "कहि है सब तेरो हियो, मेरे हिय की बात", स्पष्ट कीजिए।

4. भाव स्पष्ट कीजिए –

बिरह भुवंगम तन बसै, मन्त्र न लागै कोइ।

राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ।।

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निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(क) जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
     सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि।।

(i) कवि और कविता का नाम लिखिए। (1)

(ii) 'अँधियारा' तथा 'दीपक' शब्द का वास्तविक अर्थ स्पष्ट कीजिए। (1)

(iii) इस दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए। (2)

(iv) 'जब मैं था तब हरि नहीं' का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)

अथवा

(ख) सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!
पुलक पुलक मेरे दीपक जल!

(i) कवि और कविता का नाम लिखिए। (1)

(ii) 'मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन ' का भाव स्पष्ट कीजिए। (1)

(iii) कवयित्री दीपक को पुलक पुलक कर जलने के लिए क्यों कहती है? (2)

(iv) इन पंक्तियों में कवयित्री ने क्या संदेश दिया है? (2)

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निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए –

1. अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या सुझाव दिया है?

2. 'मनुष्यता' कविता द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?

3. 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में कवि ने तालाब की तुलना दर्पण से क्यों की है?

4. महादेवी वर्मा ने अपनी कविता में दीपक से जलने की प्रार्थना क्यों की है?

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किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(i)'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं?

(ii)कंपनी बाग में रखी तोप क्या संदेश देती है?

(iii)कबीर ने अपनी एक साखी में निंदक को अपने समीप रखने की बात क्यों कही है?

(iv)'आत्मप्राण' कविता में विपत्ति आने पर कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?

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किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

(क) कबीर के विचार से निदंक को निकट रखने के क्या-क्या लाभ हैं?

(ख) मीराबाई ने कृष्ण की चाकरी की अभिलाषा क्यों व्यक्त की है?

(ग) कपंनी बाग में रखी तोप की क्या विशेषता है? वह कब और क्यों चमकाई जाती है?

(घ) 'मधुर-मधुर मेरे दीपक जल' कविता में दीपक से क्या-क्या आग्रह किए गए हैं?

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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि आदि-मानव कुछ गम्भीर, कुछ तत्वचिन्तक और कुछ उदास जरूर था और उसकी उदासी वर्गवादी विचारक की उदासी की जाति की ही रही हो, ऐसा भी हो सकता है। सच पूछिए तो शुरू-शुरू में मनुष्य कुछ साम्यवादी ही था। हँसना-हँसाना तब शुरू हुआ होगा जब उसने कुछ पूंजी इकट्ठी कर ली होगी और संचय के साधन जुटा लिए होंगे। मेरा निश्चित मत है कि हँसना-हँसाना पूंजीवादी मनोवृत्ति की उपज है। इस युग के हिन्दी साहित्यिक जो हँसना नापसन्द करते हैं, उसका कारण शायद यह है कि वे पूंजीवादी बुर्जुआ मनोवृत्ति को मन ही मन घृणा करने लगे हैं। उनकी युक्ति शायद इस प्रकार है- चूंकि संसार के सभी लोग हँस नहीं सकते, इसलिए हँसी एक गुनाह है और चूंकि संसार के सभी लोग थोड़ा-बहुत रो सकते हैं, इसलिए रोना ही वास्तविक धर्म है। फिर भी अधिकांश साहित्यिक रोते नहीं केवल रोनी सूरत बनाए रहते हैं। जिसे थोड़ा-सा भी गणित सिखाया गया हो, वह बहुत आसानी से इस आचरण की युक्त्तियुक्त्तता समझ सकता है।
(नोटः प्रस्तुत गद्यांश हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित 'आपने मेरी रचना पढ़ी?' निबंध से लिया गया है।)
(i)  लेखक, मनुष्य के अंदर विनोदभाव का उदय कब मानता है?
(क) जब वह सभ्य होने लगा था।
(ख) जब उसने कुछ ज्ञान अर्जित कर लिया था।
(ग) जब उसने जीवन का अर्थ समझ लिया था।
(घ) जब उसने धन संचय कर लिया था।

(ii) पूंजीवादी मनोवृत्ति के अनुसार मनुष्य का असल धर्म है:
(क) हँसना
(ख) विरोध करना
(ग) रोना
(घ) लिखना

(iii) गद्यांश के अनुसार बताइए गंभीर, तत्वचिंतक तथा उदास किसके गुण है?
(क) मनुष्य के
(ख) वानर के
(ग) आदिम मानव के
(घ) लेखक के

(iv) साम्यवाद का अर्थ है:
(क) संसार में सबको समान रूप से देखना
(ख) संसार को एक समझना
(ग) जीवन में मानवता को महत्व देना
(घ) सम व्यवहार की उपेक्षा करना

(v) लेखक के अनुसार हँसी किस कारण से जुर्म है:
(क) क्योंकि सभी हँसते हैं इसलिए
(ख) क्योंकि हर कोई हँस नहीं सकता
(ग) क्योंकि साम्यवाद इसका विरोध करता है
(घ) क्योंकि पूंजीपति इसका समर्थन करने हैं
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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
वृद्ध गोपालजी की नज़रों में धर्म तुच्छ था, धन तुच्छ था, ढोंगियों का समाज तुच्छ था, मन्दिर, मस्जिद और गिरजे तुच्छ थे और परम तुच्छ था उक्त सारी खुराफांतों की जड़ ईश्वर। उनका ह्दय आँसुओं के आगे पिघल उठता था, दुर्बलों पर द्रवित होता था। संसार के कमजोर और अपमानित, दरिद्र और पतित उनके ईश्वर थे। मनुष्यत्व उनका धर्म था। रामजी जिस समय पाँच वर्ष का अज्ञान बालक था उसी समय उसकी माता गोपालजी की पत्नी का देहान्त हो गया था। तब से बराबर गोपालजी के ही प्रेम से उसका पालन-पोषण हुआ। पिता का पुत्र पर और पुत्र का पिता पर अलौकिक प्रेम था। स्त्री का देहान्त हो जाने के बाद चाहते तो, गोपालजी दूसरी शादी कर सकते थे मगर उन्होंने वैसा नहीं किया। उनका कहना था कि विवाह का मुख्य उद्देश्य प्रेम होना चाहिए, वासना नहीं। स्त्री के न रहने पर भी उनके प्रेम का पात्र, उनका और उनकी सम्मिलित स्नेह-चित्र, रामजी तो था ही। फिर दूसरे विवाह करने की आवश्यकता ही नहीं बचती?     
(नोटः प्रस्तुत गद्यांश पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' की रचना 'ईश्वर द्रोही' से लिया गया है।)    
(i)  गोपालजी की नज़रों में समाज में व्याप्त बुराइयों की जड़ का कारण कौन था?
(क) मनुष्य
(ख) शैतान
(ग) ईश्वर
(घ) वासना

(ii) गोपालजी का ह्दय किसके लिए दुखी हो उठता था?
(क) ईश्वर विरोधी लोगों के लिए
(ख) दीन-दुखियों के लिए
(ग) अपने पुत्र के लिए
(घ) अपनी पत्नी के लिए

(iii) गोपालजी के लिए कौन सबसे अधिक मुल्यवान था?
(क) ईश्वर
(ख) मानवता
(ग) पुत्र
(घ) दीन-दुखी

(iv) विवाह संबंध में गोपाल जी किसे अधिक महत्व देते थे?
(क) वासना
(ख) प्रेम
(ग) संतान
(घ) आपसी समझदारी

(v) 'स्नेह चित्र' से लेखक का तात्पर्य है:
(क) अपना पुत्र रामजी
(ख) पत्नी से जुड़ी स्मृतियाँ
(ग) जीवन से संबंधित समस्त स्मृतियाँ
(घ) पत्नी का साथ
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निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

मेरा मंदिर, मेरी मसजिद, काबा काशी यह मेरी।
पूजा पाठ, ध्यान, जप, तप, है घट-घट वासी यह मेरी।

कृष्णचन्द्र की क्रीड़ाओं को अपने आंगन में देखो।
कौशल्या के मातृमोद को, अपने ही मन में देखो।

प्रभु ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास।
जीव-दया जिनवर गौतम की, आओ देखो इसके पास।

परिचय पूछ रहे हो मुझसे, कैसे परिचय दूँ इसका।
वही जान सकता है इसको, माता का दिल है जिसका।
(नोट: प्रस्तुत काव्यांश 'बालिका का परिचय' सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है।)

(i) प्रस्तुत कविता का उद्देश्य है:
(क) पुत्र जन्म को सार्थकता देना
(ख) कन्या के महत्व को दर्शाना
(ग) माता के ह्दय के भावों को दर्शाना
(घ) जीवन की सत्यता दर्शाना

(ii) कवयित्री ने भगवान के समतुल्य किसे रखा है?
(क) अपने मातृत्व को
(ख) अपनी आस्था को
(ग) अपने कर्तव्यभाव को
(घ) अपनी पुत्री को

(iii) घट-घट वासी से तात्पर्य है:
(क) सब जगह आत्मा विराजमान है
(ख) सब जगह विद्यमान होना
(ग) सब समान हैं
(घ) सब जगह मेरा मान होना

(iv) कवि के अनुसार माता का ह्दय क्या जान सकता है?
(क) संतान की विकलता को
(ख) जन्म की व्यथा को
(ग) अन्य माता के मातृत्व को
(घ) स्त्री के जीवन की जटिलता को

(v) कृष्ण की क्रीड़ाएँ कहाँ देखी जा सकती है?
(क) अपने मन में
(ख) अपने जीवन में
(ग) अपनी कल्पनाओं में
(घ) अपने आँगन में
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निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
चोट खाकर राह चलते
होश के भी होश छूटे,
हाथ जो पाथेय थे, ठग-
ठाकुरों ने रात लूटे,
कंठ रूकता जा रहा है,
आ रहा है काल देखो।

भर गया है ज़हर से
संसार जैसे हार खाकर,
देखते हैं लोग लोगों को,
सही परिचय न पाकर,
बुझ गई है लौ पृथा की,
जल उठो फिर सींचने को।
(नोट: यह काव्यांश सुर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता 'गीत गाने दो मुझे' से ली गई है।)

(i) संसार विष से क्यों भर गया है?
(क) बार-बार मिलने वाली हार से
(ख) विरोधियों के विद्रोह से
(ग) जीवन के संघर्षों से
(घ) कुरीतियों और पुरानी परंपराओं से

(ii) प्रस्तुत काव्यांश में किस प्रकार का भाव दृष्टिगोचर होता है?
(क) निराशा से भरा
(ख) प्रेम से भरा
(ग) प्रेरणा से भरा
(घ) अहं से भरा

(iii) लुटेरों ने क्या लूट लिया है?
(क) जीवन की समस्त जमा-पूंजी
(ख) जीवन के अनुभव
(ग) ज्ञान
(घ) आगे बढ़ने के मार्ग

(iv) चोर-लुटेरों से अभिप्राय है:
(क) समाज
(ख) कुरीतियाँ
(ग) असामाजिक तत्व
(घ) स्वार्थी और लालची लोग

(v)  किसे देखकर कंठ रूक गया है?
(क) मृत्यु को देखकर
(ख) विषम परिस्थितियों को देखकर
(ग) चोर डकैतों को देखकर
(घ) असफलता को देखकर
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